आदिवासी समुदाय से आने वाली द्रौपदी मुर्मू देश की 15 राष्ट्रपति चुनी गई हैं। उन्हें पचास फीसदी से ज्यादा मत मिले हैं। उन्होने अपने प्रतिद्वंद्वी यशवंत सिन्हा को हराया है। द्रौपदी मुर्मू के राष्ट्रपति चुने जाने से इतिहास में देश को पहला आदिवासी राष्ट्रपति मिलेगा। 64 वर्ष की द्रौपदी मुर्मू देश में सबसे कम उम्र में राष्ट्रपति बनने की रिकॉर्ड भी बनाएंगी। वह स्वतंत्रता के बाद पैदा होने वाली पहली राष्ट्रपति होंगी और शीर्ष पद पर काबिज होने वाली सबसे कम उम्र की राष्ट्रपति होंगी।
53 फीसदी से ज्यादा मत मिले
मतगणना के तीसरे दौर के बाद ही उनकी जीत पर मुहर लग गई थी, जब निर्वाचन अधिकारी ने घोषणा की कि मुर्मू को कुल मान्य मतों के 53 प्रतिशत से अधिक मत प्राप्त हो चुके हैं, जबकि 10 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मतपत्रों की गिनती अभी चल रही थी
यशवंत सिन्हा ने दी बधाई
राष्ट्रपति चुनाव में विपक्ष के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा मुर्मू की जीत पर उन्हें बधाई दी है। उन्होंने कहा कि हर भारतीय उम्मीद करता है कि 15वें राष्ट्रपति के रूप में वह बिना किसी डर या पक्षपात के ‘संविधान के संरक्षक’ के रूप में कार्य करेंगी। उन्होंने कहा कि मैंने विपक्षी दलों के प्रस्ताव को पूरी तरह से भगवद गीता में भगवान कृष्ण द्वारा दिये गए कर्म योग के उस उपदेश के आधार पर स्वीकार किया कि ‘फल की उम्मीद के बिना अपना कर्तव्य करते रहो।’
पीएम मोदी और गृह मंत्री अमित शाह ने दी बधाई
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा मुर्मू को बधाई देने के लिए उनके आवास पर गए। पीएम ने कहा कि आजादी के अमृत महोत्सव में पूर्वी भारत के सुदूर हिस्से से ताल्लुक रखने वाली एक आदिवासी समुदाय में जन्मी नेता को राष्ट्रपति निर्वाचित कर भारत ने इतिहास रच दिया है। मुर्मू की जीत की घोषणा के बाद एक के बाद एक ट्वीट में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि विधायक, मंत्री और झारखंड के राज्यपाल के रूप में उनका कार्यकाल बहुत उत्कृष्ट रहा। उन्होंने कहा कि- ‘मुझे पूरा भरोसा है कि वह एक उत्कृष्ट राष्ट्रपति होंगी जो आगे बढ़कर नेतृत्व करेंगी और भारत की विकास यात्रा को मजबूत करेंगी।’
ओडिशा के मयूरभंज जिले में 1958 में जन्म
मुर्मू का जन्म 20 जून, 1958 को ओडिशा के मयूरभंज जिले में हुआ था। रायरंगपुर से ही उन्होंने भाजपा की सीढ़ी पर पहला कदम रखा था। वह 1997 में स्थानीय अधिसूचित क्षेत्र परिषद में पार्षद बनी थीं और 2000 से 2004 तक ओडिशा की बीजद-भाजपा गठबंधन सरकार में मंत्री बनीं। वर्ष 2015 में, उन्हें झारखंड का राज्यपाल नियुक्त किया गया और 2021 तक इस पद पर रहीं। वह संथाली और ओडिया भाषाओं में एक उत्कृष्ट वक्ता हैं। उन्होंने क्षेत्र में सड़कों और बंदरगाहों जैसे बुनियादी ढांचे में सुधार के लिए बड़े पैमाने पर काम किया है।
दर्द भरा रहा निजी जीवन
द्रौपदी मुर्मू बेहद संघर्ष के बाद इस मुकाम पर पहुंची हैं। उनका राजनीतिक जीवन बेदाग रहा है। द्रौपदी मुर्मू 2000 से 2009 के बीच ओडिशा से विधायक रहीं। इस दौरान उन्हें मंत्री भी बनाया गया। 2015 से 2021 के बीच वे झारखंड की गवर्नर रहीं हैं। लेकिन उनका निजी जीवन दर्द से भरा है। 2009 में द्रौपदी मुर्मू के 25 वर्षीय बेटे लक्ष्मण मुर्मू की मौत हो गई। वहीं 2013 में द्रौपदी मुर्मू ने अपने दूसरे बेटे को खो दिया। रोड़ एक्सीडेंट में उनके बेटे की मौत हो गई। महज 4 साल में उन्हें अपने 2 जवान बेटों की मौत का दर्द झेलना पड़ा।