वेब सीरिज ‘रॉकेट बॉयज’ भारत के वैज्ञानिकों की कहानी

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गुलाम और आज़ाद भारत की कहानियों को हमने सुना है, इसके इतिहास को मोटी-मोटी किताबों में पढ़ा है, स्वतंत्रता सेनानियों से लेकर नए मुल्क की नींव रखने वाले तमाम नेताओं के बारे में जाना है। वहीं इन सबके बीच उभरते भारत के विज्ञान में उपलब्धियों और वैज्ञानिकों के बारे में हमने कम ही पढ़ा, कम ही जाना या फिर कहें तो हमें इतना बताया ही नहीं गया। SonyLiv पर आई सीरीज़ “रॉकेट बॉयज” भारत के दो ऐसे वैज्ञानिकों की कहानी है जिन्होंने आज़ाद भारत को आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ाने में क्रांतिकारी परिवर्तन किया था.. ये कहानी है डॉ. होमी जहांगीर भाभा और डॉ. विक्रम साराभाई की।

हालांकि इस कहानी में पंडित जवाहर लाल नेहरू भी हैं, लाल बहादुर शास्त्री भी तो वहीं डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम भी। इस कहानी में भारत की परतंत्रता भी है तो स्वतंत्रता भी। ये सब जुड़ी हुई है होमी जहांगीर भाभा और डॉ. विक्रम साराभाई की ज़िंदगी से.. वैज्ञानिकों की इस कहानी में रोमांस है, ड्रामा है, राजनीति है, थ्रिल है, क्राइम है किसी वैज्ञानिक के बारे में इतना कुछ होना और उसे स्क्रीन पर दिखाना इतना आसान काम नहीं है लेकिन इस सीरीज़ अभय पन्नू ने इसे बेहतरीन तरीके से दर्शाया है।

होमी भाभा को “इंडियन न्यूक्लियर साइंस” का जनक, तो विक्रम साराभाई को ‘फादर ऑफ इंडियन स्पेस प्रोग्राम’ कहा जाता हैं। सीरीज़ की शुरुवात होती है 1962 भारत-चीन युद्ध से फिर ये फ़्लैश बैक में चली जाती है 1930 के दशक के उस दौर में जिस समय भारत आज़ादी के लिए संघर्ष कर रहा था उस समय होमी भाभा और विक्रम का भी शुरुवाती संघर्ष चल रहा था। ये दोनों चाहते तो विदेशों में जाकर दूसरे देशों के लिए रिसर्च कर बढ़िया पैसा कमा सकते थे लेकिन इन्होंने अपने देश को प्राथमिकता दी। आज़ादी मिलने के बाद देश मे तमाम समस्याएं थी हमें पहले जरूरी चीजों की पूर्ती करनी थी, ऐसे में किसी का भी इंटरेस्ट साइंस और इंवोवेशन में नहीं था, लेकिन इसका महत्व भारत के भविष्य के लिए बहुत था, ऐसे में भाभा और विक्रम ने राजनेताओ और व्यापारियों को समझाने की तमाम कोशिशें की थी और तमाम प्रयास किये थे।

इन दोनों की ये कड़ी मेहनत और हिम्मत के चलते राष्ट्रीय अंतरिक्ष अनुसंधान समिति का गठन हुआ और साल 1963 में भारत ने अपना पहला रॉकेट अंतरिक्ष में भेजा। होमी भाभा के चलते ही देश ने परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम की कल्पना की थी.. इस कहानी में इन दोनों के अलावा एक तीसरा और शख्स है जिसकी काबलियत को इन विक्रम साराभाई ने पहचाना और जो आगे चलकर देश का राष्ट्रपति भी बना यानी डॉ एपीजे अब्दुल कलाम जिन्होंने पहले रॉकेट लॉन्च में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
कुल मिलाके ये सीरीज इतिहास में रुचि रखने वालों के लिए एक खजाना है, वहीं इसमें निभाये गए हर एक क़िरदार का अपना अलग ही जलवा है जो इस सीरीज को और भी मजबूत बनाता है। अतः जरूर देखें।
—अंकुर मौर्या

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