श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह को जतेथेदार पद से हटा दिया गया है। वह तख्त श्री दमदमा साहिब के जत्थेदार बने रहेंगे। उनकी जगह पर ज्ञानी रघबीर सिंह को श्री अकाल तख्त साहिब, अमृतसर का नया जत्थेदार नियुक्त किया गया है। ज्ञानी रघबीर सिंह इससे पहले तख्त श्री केसगढ़ साहिब के जत्थेदार थे। ज्ञानी सुलतान सिंह को केसगढ़ का नया जत्थेदार नियुक्त किया गया है।
इस संबंध में शुक्रवार को अमृतसर में शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी की अंतरिंग कमेटी की बैठक हुई। इसी में नए जत्थेदार की नियुक्ति का ऐलान किया गया। कमेटी के इन फैसलों पर कई तरह के सवाल भी उठने शुरु हो गए हैं।
ज्ञानी हरप्रीत सिंह को क्यों हटाया गया?
जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह को हटाने के बारे में पहले से ही कई तरह की अटकलें लगाई जा रही थीं। अमृतपाल मामले से जुड़ी कई बातों को लेकर भी पंथ और जत्थेदार के बीच दरार आने की बात सामने आ रही है। दूसरा, आप एमएसए राघव चड्ढा की मंगनी में जत्थेदार के शामिल होने को लेकर भी विवाद सामने आया था। इससे पहले कोई भी जत्थेदार साहिब इस तरह से किसी समारोह में शामिल नहीं हुआ था। इसे जत्थेदार की मर्यादा के साथ जोड़कर देखा गया। कई अकाली नेताओं ने इसका विरोध किया था। कहीं न कहीं इन बातों को भी जत्थेदार को हटाने के पीछे का कारण माना जा रहा है।
दूसरी तरफ एसजीपीसी के प्रधान हरजिंदर सिंह धामी कहते हैं कि उन्हें हटाए जाने की बात न कही जाए। उन्होंने कहा कि ज्ञानी हरप्रीस सिंह के पास श्री अकाल तख्त साहिब की सेवा का एडीशनल कार्य था। वे तख्त श्री दमदमा साहिब के पूर्ण तौर पर जत्थेदार हैं। उन्होंने स्वेच्छा से पूर्ण रूप से तख्त श्री दमदमा साहिब की सेवा करने का आग्रह किया था। इससे काफी देर से तख्तों पर चल रहे एडीशनल चार्जों पर भी विराम लगा है।
उठने लगे सवाल
शुक्रवार को हुई एसजीपीसी की बैठक में पहुंचे सदस्य बाबा गुरप्रीत सिंह रंधावा ने एसजीपीसी प्रधान हरजिंदर सिंह पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि किसी जत्थेदार को हटाने, नियुक्त करने के लिए विधि-विधान बनना चाहिए। केवल शिरोमणि कमेटी के पास ही यह अधिकार नहीं होना चाहिए। दूसरी तरफ हरियाणी शिरोमणि गुरुद्वारा मैनेजमेंट कमेटी के पूर्व प्रधान बलजीत सिंह दादूवाल ने भी शिरोमणि कमेटी पर इस मामले को लेकर सवाल उठाए हैं।