पहलगाम में पर्यटकों पर हुए हमले ने देश को झकझोरकर रख दिया। कश्मीर से लेकर मुंबई तक पूरा देश हिल गया। 370 खत्म होने के बाद कश्मीर में लोग खुली हवा में सांस लेने लगे थे। देश के दूसरों राज्यों के लोग भी वादी के खुले नजारों की तरफ आकर्षित हो रहे थे। लबोलुआब ये कि जम्मू-कश्मीर धीरे-धीरे विकास के पथ पर आगे बढ़ने लगा था; बढ़ ही रहा था। लेकिन देश के कुछ भीतरी और कुछ बाहरी दुश्मनों को यह रास नहीं आया। नतीजन इस करतूत को अंजाम दे दिया।
यह पहली बार हुआ है कि आतंकियों ने पर्यटकों को निशाना बनाया। यह भी पहली बार कि धर्म पूछकर निशाना बनाया। यानी हिम्मत इतनी बढ़ गई। इस जघन्य हादसे से पूरा देश स्तब्ध है। आक्रोश में है। गुस्से में है। गुस्सा फूटना चाहिए। नापाक इरादों के शह देने वाला देश गुस्से के इस बवंडर से कांप रहा है। कांपना भी चाहिए। एक तो उसकी घरेलू हालत ऐसी नहीं कि वो किसी सदमें को सह सके। डर ये भी है कि बौखलाहट में कहीं खुद ही कुछ न कर बैठे।
खैर, भारत को देश की आत्मा पर किए गए इस वार का माकूल जवाब देना चाहिए। दिया भी जा रहा है। पिछले कुछ सालों में भारत ने दुनिया में जो छवि गढ़ी है, उसका असर अब देखने को मिल रहा है। दुनिया के कई देश आतंकवाद के खिलाफ भारत के अहद के समर्थन में हैं। इस समर्थन का उपयोग भारत को आतंकवाद के खातमे के लिए कर लेना चाहिए। यह मौका है, दुश्मन को मुंहतोड़ जवाब देने का। यह दिया जाना चाहिए। सरकार आतंकवाद के खिलाफ देश के आक्रोश को समझ रही है। समझना भी होगा। क्योंकि अब बहुत हो चुका। लंबे समय से पाकिस्तान की तरफ से पोषित आतंकवाद के खिलाफ केवल बातें करने का समय अब खत्म हो चुका है। समय अब माकूल जबाव देने का है।
सरकार आतंक के खिलाफ लिए गए अहद को पूरा करने में सक्षम है। भारत धीरे-धीरे भारत अपना रुख स्पष्ट कर रहा है। देखना यह होगा कि की जा रही बातें, हकीकत कब और कैसे बनती हैं!