थाना राम बाग, दुर्ग्याणा मंदिर पुलिस चौंकी के कर्मचारियों की लापरवाही से 17 जनवरी को इस क्षेत्र में एक दिन में 12 मोबाइल फोन छींनने की घटनाओं को अंजाम दिया। पर पुलिस सोई रही। हैरानी की बात तो यह है कि इन घटनाओं को अंजाम देने वाला गिरोह इलाके के मोची मुहल्ले के इलाके के रहने वाले है। पुलिस इस मुहल्ले में जाने से डरती है जबकि पुलिस की पहचान में गिरोह के कई सरगना परिचित भी है। अधिकतर घटनाएं स्वर्ण मंदिर को जाने वाले रास्ते से पैदल जा रहे है श्रद्धालुओं के साथ होना आम बात है।
इलाका निवासीयों ने पुलिस कमिश्नर को तुरन्त हस्तक्षेप की मांग करते हुए उच्च पुलिस अधिकारीयों से आग्रह किया है , कि दिन भर नशेड़ी स्मैक और नशे के कैप्सूल बेचने का यहां धंधा करते है और रात को वीरान पड़ी दीन दयाल उपाध्याय मार्कीट में वेश्यावृति , लूटमार की घटनाओं को अंजाम देने के बाद , छिपने का पक्का ठिकाना बनाया हुआ है। राहगीर जो कई बार पैदल चलते या स्कूटर पर मोबाइल फोन कानों में लगाकर बातचीत में व्यस्त होते है। तो दिन भर यह लुटेरों का गिरोह मोबाइल छींनने की घटनाओं को अंजाम देने के बाद महिला श्रद्धालुओं के पर्स छीनने से बाज नहीं आते। नशेड़ी इस मार्कीट में लगा लोहे का सामान भी काट कर बेच चुके है। इस दोनों तरफ सडक़ और सब्जी मंडी से लगने वाली दीवार के साथ फुटपाथ पर इन लुटेरों के साथ कई चरित्रहीन लड़कियां भी सोई होती है। जबकि चारों तरफ खुले रास्ते होने के कारण लुटेरों को पकडऩा भी लोगों के लिए जटिल समस्या है। क्योंकि इस रास्ते पर पुलिस की गश्त सिर्फ रजिस्टरों में दर्ज रहती है। लुटेरे लूट के बाद यदि दीन दयाल मार्कीट की तरफ भाग जाए , तो मार्कीट के चारों तरफ पांच खुले रास्ते हैं। क्योंकि नगर निगम ने इस मार्कीट की कभी सुध तक नहीं ली , कभी चोरों के रास्ते बंद नहीं किए।
इस रास्ते से रोजाना लाखों लोगों का आना -जाना दिन -रात तक लगा रहता है। पुलिस ने कई बार इलाके में सक्रिय पुराने चोरों की पहचान भी की , पर कोई कार्यवाही न होने , गश्त दिन रात को न होने के परिणाम स्वरूप लूट की घटनाएं रोजाना बढ़ती जा रही हैं। दिन को मोबाइल लूटने के साथ चोर लुटेरे दुकानों में चोरीयां करने की दिन भर रैकी करते हैं। फिर रात्रि को इलाके में ताले तोडऩे की घटनाओं को अंजाम देते हैं। भंडारी पुल और हाल गेट के पास पुलिस कर्मी बैठे तो होते हैं , पर लुटेरों को पकडऩे की कोशिश न करना इस रास्ते में लूट की घटनाओं का लगातार बढऩा अब मुसीबत बना हुआ है। पुलिस नाम की कोई चीज इस सडक़ पर नहीं हैं।
लुटेरों द्वारा मोबाइल छीनने का आसान और सुरक्षित तरीका
इस क्षेत्र में से गुजरने वाले श्रद्धालु , पर्यटक या आम राहगीर जब पुल की उतराई के पास सडक़ पार करता है , तो वह किसी से उस समय मोबाइल पर बात कर रहा होता है। पैदल चलने वाले का ध्यान सडक़ पार सुरक्षित होकर करने के साथ वह मोबाइल फोन पर बात करने में मग्न होता है। पीछे से दो लुटेरे उसका पीछा सडक़ पार करते समय करते है ,तो एक लुटेरा आगे जाकर दूसरे पिछले लुटेरे को ईशारा करता है। तुरन्त दूसरा लुटेरा कान पर लगे मोबाइल को छीनकर पहले लुटेरे के साथ फरार हो जाता है। पुलिस ने गत माह टायरों वाली मार्कीट की उतराई पर पहले रुकावटें लगाई हुई थी। तब इन घटनाओं में कुछ कमी आई थी। पर अब ट्रैफिक पुलिस ने इस उतराई के नीचे आने का रास्ता खोल दिया है। जो भागने वाले लुटेरों के लिए हर बार वरदान साबित हो रहा है। लुटेरों के भागने के रास्ते अब चारों तरफ खुले हैं, पर पुलिस कर्मी इस रास्ते पर तैनात थे, जो अब हटा दिए गए हैं। इसी तरह की घटना कल रात को हिमाचल प्रदेश के एक युवक के साथ हुई, लुटेरे उसका नया कीमती मोबाइल छीनकर ले गए। ऐसी घटनाएं रोजाना बढ़ती जा रही है।
नगर निगम के सामान की लगातार चोरी होने पर अफसर खामोश क्यों
भंडारी पुल के पास स्थित नगर निगम की अचल सम्पति जो अब तक मरा हुआ हाथी साबित हो रही है । किसी भी नगर निगम के मेयर , कमिश्नर ने इस मरे हुए हाथी को हिलाने की कोशिश तक नहीं की है। हालत इस तरह खराब है , कि करीब 15 से 20 वर्षों पहले बनी इस दीन दयाल मार्कीट की दुकानों की बोली हुई। करीब 30 के करीब ऐसे खरीददार है। जो 20 वर्षों तक का समय बीत जाने के बावजूद दो या तीन किश्तों का भुगतान करके इन दुकानों पर आपने ताले लगाकर कब्जा किए हुए हैं। कुछ ने तो दुकानें किराए पर चढ़ा तो दी, बाकि पूरी किश्तों की कीमतें अब तक अदा हो नहीं पाई है। यानि नगर निगम न तो इन पर सख्ती करके बकाया राशि तो कबूल नहीं कर पाया है। जबकि इनको इन दुकानों से बेदखल करके अपनी आमदनी के साधन भी जुटा नहीं पाया है। मरा हुआ हाथी कौन उठाएगा ? इस लिए यह वीरान मार्कीट लुटेरों , चोरों , अपराधीयों और स्मैक बेचने वालों का पक्का अड्डा बन चुका है। हैरानी की बात तो यह है कि इस मार्कीट को पानी की सप्लाई देने वाले कीमती पुर्जे लाखों रूपये के चोरी हो चुके हैं । जो इस सक्रिय गैंग का कारनामा तो है , पर नगर निगम के कानों तक जूं नहीं रेंगती है।
हालात से अब साफ जाहिर होता है कि जब तक पुलिस और नगर निगम के अधिकारी पक्के तौर पर सख्ती नहीं करते, तब तक यह लूट के मामले रोजाना लगातार बढ़ते जाएंगे। क्योंकि इन दोनों विभागों के किसी भी उच्च अधिकारी ने मौके का संज्ञान लेने की आज तक कोशिश तक नहीं की गई है।