सत्तर साल तक ब्रिटेन के साम्राज्य पर एकछत्र राज करने वाली रानी एलिजाबेथ द्वितीय का गुरुवार को स्कॉटलैंड के बालमोरल कैंसल में निधन हो गया। वह ब्रिटेन में सबसे लंबे समय तक राज करने वाली महारानी थीं। उनका अंतिम संस्कार निधन के 10 दिन बाद होगा। अब उनके बेटे प्रिंस चार्ल्स को महाराजा बनाया गया है। एलिजाबेथ द्वितीय ने साल 1952 में ब्रिटेन की महारानी के तौर पर सिंहासन ग्रहण किया था।
महारानी बनने में नहीं थी रुचि
आपको बता दें, सबसे लंबे समय तक राज संभालने वाली महारानी एलिजाबेथ द्वितीय की महारानी बनने में कोई रुचि नहीं थी। दरअसल उनके ताऊ एडवर्ड अष्टम ग्रेट ब्रिटेन के राजा थे। एलिजाबेथ उनके छोटे भाई जार्ज षष्टम की बेटी थीं। ताऊ एडवर्ड अष्टम की मौत के बाद राजकाज का काम एलिजाबेथ के पिता एडवर्ड अष्टम ने संभाला। तब उनके महारानी बनने की संभावनाएं जगीं।
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जब एलिजाबेथ द्वितीय के पिता की मृत्यु हुई, वे ब्रिटेन से बहुत दूर थीं। उनकी शादी प्रिंस फिलिप से हो चुकी थी। दोनों ने 1947 में शादी कर ली थी। फिलिप जर्मन मूल के थे। यह शादी एलिजाबेथ ने अपनी मर्जी से की थी और उनके पिता समेत राजघराने के बहुत सारे ओहदेदार इसके विरोध में थे। सन 1952 में एलिजाबेथ द्वितीय ने जब राजकाज संभाला तब उनकी उम्र महज 26 साल थी।
महारानी एलिजाबेथ द्वितीय प्रिंस चर्ल्स समेत चार संतानों की माता बनीं। यह वही प्रिंस चार्ल्स हैं, जिनकी शादी प्रिंसेज डायना के हुई थी, जिनके कारण ब्रिटिश राजपरिवार पूरी दुनिया में चर्चा का विष्य बना रहा। अब इन्हीं प्रिंस चार्ल्स को ही महाराजा बनाया गया है।
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कई आजाद देश भी मानते थे महारानी कि अधीनता!
जब क्वीन एलिजाबेथ द्वितीय ने राजकाज संभाला तो दुनिया की राजनिति अजीब से दौर से गुजर रही थी। बहुत सारे गुलाम देश ब्रिटेन के छत्र के नीचे से हट रहे थे या बगावत कर रहे थे। इसी समय दौरान संयुक्त राष्ट्र संघ का जन्म भी हो चुका था। इसके बावजूद राष्ट्रकुल या कॉमनवेल्थ के कामकाज से रानी ने दुनिया में अपना सम्मान बरकरार रखा। उनकी अधीनता मानने वालों में कई आजाद राष्ट्र भी शामिल थे।
पासपोर्ट और ड्राइविंग लाइसेंस नहीं रखतीं महारानी
बहुत कम लोग जानते होंगे कि महारानी एलिजाबेथ द्वितीय कोई पासपोर्ट या ड्राइविंग लाइसेंस नहीं रखतीं। माना यह जाता है कि ब्रिटेन समेत बहुत सारे देशों में पासपोर्ट और ड्राइविंग लाइसेंस रानी के नाम से ही जारी होते हैं तो फिर उन्हें कौन पासपोर्ट जारी करेगा। ब्रिटेन के राजमहल की इस परंपरा को लगभग दुनिया से सारे देश मान्यता देते हैं।
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क्या होगा कोहिनूर का?
सबसे लंबे समय तक राज करने वाली इस महारानी के मुकुट का शिंगार कोहिनूर भी रहा। उनके निधन के बाद यह सवाल भी उठने लगे हैं कि अब कोहिनूर का क्या होगा? रिपोर्ट्स की मानें तो महारानी के निधन के बाद ब्रिटेन के राजा बन चुके किंग चार्ल्स तृतीय की पत्नी डचेस ऑफ कॉर्नवेल कैमिला को कोहिनूर सौंप दिया जाएगा। डटेस ऑफ कॉर्नवेल को अब क्वीन कंसोर्ट के नाम से जाना जाएगा। उन्हें क्वीन मदर का बेशकीमती कोहिनूर से जड़ा ताज दिया जाएगा।
इस साल की शुरुआत में महारानी एलिजाबेथ द्वितीय ने स्वयं ऐलान किया था कि कैमिला को क्वीन कंसोर्ट के नाम से जाना जाएगा।