हिंदी लेखिका गीतांजलि श्री के नॉवेल ‘टॉम्ब ऑफ सैंड’ को मशहूर इंटरनेशनल बुकर प्राइज दिया गया है। यह नॉवेल हिंदी में ‘रेत की समाधि’ के नाम से प्रकाशित हुआ था। नॉवेल को अमेरिकन ट्रांस्लेटर डेजी रॉकवेल ने अंग्रेजी में ट्रांस्लेट किया है। इसके साथ ही यह नॉवेल दुनिया की उन 13 किताबों में शामिल हो गया है, जिन्हें इंटरनेशनल बुकर प्राइज मिला है। गीतांजलि को 5 हजार पाउंट की इनामी राशि मिली, जिसे वो अनुवादक डेजी रॉकवेल के साथ शेयर करेंगी।
क्या है कहानी
नॉवेल में एक 80 वर्षीय बुजुर्ग विधवा की कहानी है जो 1947 के देश विभाजन के दौरान अपने पति को खो देती है और इस कारण से अवसाद में चली जाती है। यह नॉवेल राजकलम प्रकाशन ने छापा था। जजों के पैनल की अध्यक्षता करने वाले अनुवादक फ्रैंक वाईन के अनुसार जजों ने बहुत भावुक बहस के बाद बहुमत से ‘टॉम्ब ऑफ सैंड’ को इस खिताब के लिए चुना।
कौन हैं गीतांजलि श्री
गीतांजलि श्री का पूरा नाम गीतांजलि पांडे है। उत्तर प्रदेश के मैनीपुरी में जन्मी गीतांजलि ने लेडी श्रीराम कॉलेज से ग्रैजुएशन और जवाहर लाल नेहरू युनिवर्सिटी से इतिहास विषय में पोस्ट ग्रैडुएशन की। साथ में लिखने का सफर जारी रहा। उनकी पहली कहानी ‘बेलपत्र’ मशहूर हिंदी पत्रिका ‘हंस’ में छपी थी। इसके बाद उन्होंने कहानियां लिखीं। अब तक उनके पांच नॉवेल और पांच कहानी संग्रह छप चुके हैं। कहानी संग्रहों में प्रमुख हैं- अनुगूंज, मार्य मां और साकुरा, वैराग्य, यहां हाथी रहते थे।
गीतांजलि श्री को इंदु शर्मा कथा सम्मान भी मिल चुका है।