गोवा चुनाव: नतीजों के बाद निर्णायक भूमिका में होगी टीएमसी-एमजीपी गठबंधन

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गोवा विधानसभा चुनाव में सिर्फ 4 दिनों का समय बचा है। 40 विधानसभा सीटों वाले इस प्रदेश में 14 फरवरी को वोट डाले जाएंगे। वेलेंटाइन डे के दिन गोवा की जनता किस पार्टी को अपना प्यार समर्पित करती है, ये देखना दिलचस्प होगा। आमतौर पर छोटे राज्यों के चुनाव राष्ट्रीय सुर्खियों में कम दिखाई देते हैं, वो भी जब पूरे देश की निगाहें उत्तर प्रदेश के चुनाव पर हो। लेकिन इस बार गोवा की गुलाबी फिजाओं में राजनीति का कुछ अलग ही रंग देखने को मिल रहा है। कई गोवा वासियों और प्रबुद्धजनों ने भी इस बात को स्वीकार किया कि इस बार का चुनाव बहुत अलग है। जमीन पर कौन है और हवा में कौन इसका ठीक ठाक अंदाजा किसी को नहीं है। सभी पार्टियां सरकार बनाने के दावे के साथ चुनावी मैदान में हैं।

चुनावी पंडित मानते हैं कि गोवा की राजनीति में आए इस नए बयार का मुख्य कारण है बंगाल की खाड़ी से चलने वाली हवा, जिसने अरब सागर के तट पर स्थित इस खूबसूरत राज्य की राजनीति में उथल पुथल मचा दी है। सिर्फ 4 महीने पहले गोवा में एंट्री करने वाली टीएमसी ने जिस तूफानी अंदाज में बल्लेबाजी की है, इसे आखिरी ओवरों में धोनी की बल्लेबाजी से तुलना की जा सकती है। टीएमसी को कितनी सीटें मिलेंगी ये तो 10 मार्च को पता चलेगा, लेकिन ये चुनाव टीएमसी केंद्रित हो गई है, ऐसा मानने वालों की बड़ी तादाद है। वरना 4 महीने पुरानी पार्टी पर अमित शाह से लेकर राजनाथ सिंह और प्रियंका गांधी से लेकर केजरीवाल सब क्यों हमला करते? मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत तो जैसे टीएमसी को ही मुख्य विपक्षी दल समझते हैं। अपने हर संबोधन और इंटरव्यू में वो टीएमसी पर निशाना साधते हैं और टीएमसी पर बाहरी होने का आरोप लगाते हैं। हालांकि ये आरोप कितने वास्तविक हैं वो उन्हें खुद पता है।

टीएमसी ने गोवा में सबसे पुरानी पार्टी एमजीपी से गठबंधन किया है। नॉर्थ गोवा एमजीपी का गढ़ माना जाता है। नॉर्थ गोवा की कई सीटों पर एमजीपी मजबूत स्थिति में दिख रही है। मांद्रे, डिचोली, मड़कई और प्रियोल की सीट पर एमजीपी के उम्मीदवार की स्थिति मजबूत दिखाई दे रही है। जमीन पर लोग इस बार गोवा की सबसे पुरानी पार्टी के साथ नजर आ रहे है। वहीं टीएमसी भी तिविम, अल्दोना और कंबरजुआ की सीट पर सबसे आगे दिखाई दे रही है।

अगर साउथ गोवा की बात करें तो टीएमसी के पास लुईजिन फालेरो और चर्चिल अलेमाओ जैसे दिग्गज नेता हैं। ये दोनों पूर्व में गोवा के मुख्यमंत्री भी रह चुके हैं। इनका मड़गांव, फातोर्डा, नावेलिम, बनवळी के आसपास लगभग 10 सीटों पर अच्छा खासा प्रभाव है। साउथ की 17 में से इस वक्त टीएमसी गठबंधन 8-9 सीटों पर काफी मजबूत नजर आ रही है। खासकर किश्चन बहुल इलाकों में टीएमसी की स्वीकार्यता बढ़ी है। कई इलाकों में चर्च का समर्थन भी टीएमसी को मिल रहा है।

इस तरह अगर चुनावी नतीजों की बात करें तो विशेषज्ञों का मानना है कि गोवा इस बार त्रिशंकु नतीजों की तरफ बढ़ती हुई दिखाई दे रही है। ऐसे में अगर भाजपा या कांग्रेस जैसे दल को पूर्ण बहुमत नहीं मिलने जा रहा। अगर परिस्थिति ऐसी बनती है तो इसमें टीएमसी-एमजीपी गठबंधन की भूमिका बहुत निर्णायक हो सकती है। आम आदमी पार्टी भी 1-2 सीटों पर मजबूत स्थिति में दिखाई दे रही है। हालांकि टीएमसी गठबंधन का दावा है कि वो बहुमत के आंकड़े को पार कर लेंगे और गोवा को एक स्थिर सरकार देंगे। लेकिन त्रिशंकु विधानसभा की स्थिति में कौन सी पार्टी किसके साथ आती है ये देखने वाली बात होगी। बंगाल की खाड़ी से गोवा में अपनी जड़े जमा चुकी टीएमसी की भूमिका चुनाव बाद निर्णायक होगी इसमें कोई दोराय नहीं है।

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