जालंधर लोकसभा सीट के लिए हुए उपचुनाव में आम आदमी पार्टी के सुशील रिंकू जीत गए हैं. कांग्रेस के गढ़ में सेंध लगाते हुए उन्होंने 56 हजार से ज्यादा वोटें लेकर जीत हासिल की है. सुशील रिंकू कांग्रेस से आप में आए थे. पार्टी विरोधी गतिविधियों के कारण उन्हें बाहर का रास्ता दिखाया गया था. इससे पहले वह कांग्रेस के विधायक रह चुके हैं. सुशील दलित समाज में खास रुतबा रखते हैं. 2022 में विधानसभा चुनाव में सुशील को आप के उम्मीदवार ने ही हराया था और अब वह खुद आप में शामिल हैं. सुशील रिंकू को लाभ होने की उम्मीदें पहले से ही लगाई जी रही थी.
रिंकू की जीत पर आप कार्यकर्ताओं में जश्न का माहौल है. उधर, पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल के घर पहुंचे हैं. इस सीट पर आप की जीत पार्टी को नई ऊर्जा देगी. अब मुख्यमंत्री राज्य में अपनी बातें और भी जोरदार तरीके से रख सकेंगे.
गौर हो इस सीट को कांग्रेस का गढ़ माना जाता रहा है. चौधरी परिवार का यहां खासा दबदबा है. कांग्रेस 1999 से लगातार इस सीट पर जीत दर्ज करवाती आ रही थी. आप ने कांग्रेस के गढ़ में सेंध लगाई है. दरअसल, यहां से चौधरी संतोख सिंह सांसद थे. राहुल गांथी की भारत जोड़ो यात्रा के दौरान दिल का दौरा पड़ने से उनका निधन हो गया था. जिस कारण यह सीट खाली हो गई थी. कांग्रेस ने यहां से चौधरी की पत्नी करमजीत कौर मैदान में उतारा था. यह उनका पहला चुनाव था.
आज सुबह 8 बजे से वोटों की गिनती चल रही थी, जिसमें सुशील रिंकू लगातार बढ़त बनाए हुए थे. जबकि कांग्रेस उम्मीदवार दूसरे नंबर पर चल रही थीं. दोपहर तक के रुझानों में बीजेपी और शिरोमणि अकाली दल में भी कड़ा मुकाबला सामने आता रहे. इस समय बीजेपी शिअद को पछाड़ती लग रही थी. लेकिन बाद में फिर चौथे नंबर पर आ गई. बीजेपी ने इस सीट पर इंदर इकबाल सिंह अटवाल को उतारा. यह चरणजीत सिंह अटवाल के बेटे हैं. हाल ही में चरणजीत और इंदर इकबाल सिंह अकाली दल छोड़कर भाजपा में शामिल हुए थे. इस सीट के अंतर्गत 48 फीसदी शहरी क्षेत्र आता है. इसका फायदा इंदर इकबाल को मिलने की बात कही जा रही थी.
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार जालंधर लोकसभा सीट पर दलित वोटरों का दबदबा माना जाता है. इस सीट के अधीन आती 9 विधानसभा सीटों में 16 लाख 21 हजार से ज्यादा वोटर हैं. जिनमें से 42 फीसदी दलित भाईचारे से संबंधित हैं. यहां 9 में से 4 सीटें रिजर्व हैं.